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प्रदूषण की समस्या पर निबंध – Pradushan ki samasya par nibandh

Pradushan ki samasya par nibandh
Pradushan ki samasya par nibandh

Pradushan ki samasya par nibandh : प्रदूषण अर्थात वातावरण में असंतुलन। अशुद्ध हवा, अशुद्ध जल, अशुद्ध खाना सभी कुछ प्रदूषण की देन है। विज्ञान ने दुनियां को बहुत कुछ अच्छा दिया है, तरक्की दी है लेकिन वो प्रकृति के लिए किसी अभिशाप से कम नही है। प्रदूषण विज्ञान की ही देन है।

Pradushan ki samasya par nibandh

Pradushan ki samasya par nibandh


प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण के कई रूप है जो हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बना हुआ है और हमारे आस पास के वातावरण को प्रदूषित कर रहा है। प्रदूषण के कई प्रकार है जैसे वायु प्रदूषण, ध्वनी प्रदूषण, भूमि प्रदूषण आदि।

वायु प्रदूषण

इंसान वायु के बिना जिंदा नही रह सकता। व्यक्ति अगर शुद्ध वायु ग्रहण कर रहा है तो वो स्वस्थ्य रहेगा लेकिन अगर वो प्रदूषित हवा ले रहा है तो वो हवा के साथ साथ कई तरह के खतरनाक वायरस और गंदगी हवा के साथ उसके शरीर में प्रवेश कर लेंगे जिससे वो कई बीमारियों का शिकार हो सकता है।

इस प्रदूषित हवा के लिए हम इंसान ही जिम्मेदार हैं। हमने तरक्की तो की लेकिन प्रकृति को दूषित भी किया। बड़ी बड़ी बिल्डिंग, फैक्ट्रीज खोलने के लिए कई लाखो पेड़ो को काटा जाता है। पेड़ वातावरण में संतुलन बनाए रखते है। हम इंसान जो कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं वो पेड़ सोक लेता है और पेड़ जो ऑक्सीजन छोड़ता है वो हम लेते है लेकिन पेड़ो के कटाव के कारण ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में बना रहता है जो हवा को प्रदूषित करता है।

जल प्रदूषण

एक मशहूर कहावत है जल ही जीवन है। यानी जल है तो हम है। जल का उपव्यय तो हो रहा है साथ ही प्रदूषित भी हो रहा है। फैक्ट्री द्वारा कचरा पानी में छोड़ दिया जाता है जिसे पानी में कई हानिकारक वायरस आ जाते है। ये ही जल लोगो तक पहुंचता है जिससे वो कई बीमारियों का शिकार होते है। नदियों का पानी प्रदूषित होने की वजह से जल जीवन पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण अर्थात अत्यधिक शोर । देश विकसित हो रहे हैं जिससे वहां पर वाहनों की संख्या भी बढ़ रही है जिससे ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। इस प्रदूषण की वजह से लोगो की सुनने की शक्ति पर बुरा असर पड़ता है।

भूमि प्रदूषण

धरती माँ भी प्रदूषित होती जा रही है। प्रगति के नाम पर प्लास्टिक का जमकर उपयोग किया जा रहा है। लोग प्लास्टिक से बनी चीजो का इस्तेमाल करते है और ख़राब हो जाने पर कचरे में फेक देते है। प्लास्टिक का कचरा बहुत दिनों तक मिटटी में घुलता नही है जिस वजह से भूमि प्रदूषित होती जा रही है। लोग अपने घरो का कचरा भी घर के बाहर फेकते जाते है जिससे भूमि प्रदूषण होता है।

प्रदूषण रोकने के उपाय

तेजी से बढती इस भयानक समस्या को कम किया जा सकता है बस इसके लिए हमे कुछ उपाय करने होंगे।

  1. वायु प्रदूषण को रोखने के लिए हमने पेड़ लगाने होंगे। विकास करना है तो पेड़ काटने पड़ेंगे लेकिन साथ ही अगर पेड़ उगाए जाए तो वातावरण का संतुलन बना रह सकता है। पेड़ लगाने से आस पास का वातावरण स्वच्छ होने लगता है।
  2. जल की बर्बादी को रखने के लिए लोगो को जागरूक करना होंगा। कपडे धोने के बाद बचने वाला पानी पेड़ो में डालकर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर कई भी पाइपलाइन ख़राब हो जाए उसे तुरंत रिपेयर करने पानी बर्बाद होने से बचाया जा सकता है। फैक्ट्री से निकलने वाले कचरे को पानी में बहाने पर रोक लगाकर नदियों को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।
  3. यातायात को कण्ट्रोल करने के लिए ओड इवन प्लान का इस्तेमाल हो सकता है अर्थात एक दिन इवन नंबर वाले वाहन को चलाने की अनुमति दी जाए और एक दिन ओड नंबर वाले वाहन को चलाने की अनुमति दी जाए। इससे सडको पर वाहनों की कमी होगी, वायु प्रदुषण और ध्वनि प्रदूषण कम होगा।
  4. भूमि प्रदूषण को कम करने के लिए प्लास्टिक के बैग्स के इस्तेमाल पर बैन लगाना अनिवार्य है। इसकी जगह कागज और कपड़ो से बने बैग के इस्तेमाल पर जोर देना चाहिए।
  5. जहाँ बड़ी बड़ी फैक्ट्रीज हैं जो विषैला धुआं छोड़ते हैं उनके आस पास बहुत सारे पेड़ लगाने चाहिए ताकि पेड़ वो अशुद्ध धुआं सोक ले।