essay

शिक्षक दिवस पर निबंध – essay on teachers day in hindi

essay on teachers day in hindi

essay on teachers day in hindi : ये तो हम सभी हमेशा से सुनते आए हैं कि किसी भी बच्चे के जीवन का सबसे पहले गुरु उसके मम्मी पापा होते हैं। और हां ये बिल्कुल 100 प्रतिशत सत्य बात है। बच्चा पहली बार बोलना अपने मम्मी पापा से ही सीखता है। स्कूल जाने से पहले उसे जो भी अच्छा बुरा सिखाया जाता है, जो भी पहचान कराई जाती है वह उसके मम्मी पापा ही कराते हैं तो हुए न वो उसके सबसे पहले गुरु लेकिन जब वह स्कूल जाने लगता है तो उसके टीचर ही उसे सब कुछ सिखाते हैं जैसे अक्षरों को पहचानना, लिखना व पढ़ना आदि। अच्छे बुरे की सीख देते हैं, जीवन जीने का सही सलीका सिखाते हैं, अच्छी बुरी आदतों व संगत में फर्क करना सिखाते हैं। इसलिए मम्मी पापा के अलावा एक टीचर ही तो हैं जो बच्चे को सब कुछ सिखाते हैं। अतः एक टीचर का किसी भी बच्चे या बड़े सभी के जीवन में बहुत महत्व है।




essay on teachers day in hindi

इसलिए देश भर के सभी टीचर्स को सम्मानित करने और उन्हें धन्यवाद देने के लिए देश भर के सभी शहरों व शहरों के सभी स्कूलों में टीचर्स डे मनाया जाता है। टीचर्स डे न केवल भारत देश के शहरों में बल्कि विश्व के सभी देशों के शहरों में सभी स्कूलों में बहुत ही उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है। टीचर्स डे मनाने का मुख्य कारण ही है कि स्टूडेंट्स और टीचर्स के बीच के रिश्ते को और भी गहरा व मजबूत बनाना।

कब और क्यों मनाया जाता है टीचर्स डे :

अगर बात करें टीचर्स डे मनाने की तो टीचर्स डे विश्व भर में अलग – अलग देशों में अलग – अलग वजह से मनाया जाता है। कहीं पर यह किसी महान गुरु के जन्म दिवस को याद करते हुए मनाया जाता है तो कहीं पर यह किसी महापुरुष के वीरगति को प्राप्त हो जाने पर उनकी याद में मनाया जाता है। लेकिन वजह कोई भी हो हर जगह टीचर्स डे मनाने के पीछे भावना एक ही है और वो है हमारे टीचर्स का सम्मान करना और उन्हें धन्यवाद देना।

अब बात करते हैं भारत देश की तो भारत देश के हर शहर में टीचर्स डे 5 सितंबर को मनाया जाता है, क्योंकि 5 सितंबर को हमारे भारत देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन होता है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन न ही केवल हमारे देश के राष्ट्रपति थे बल्कि एक महान दार्शनिक व उत्कृष्ट शिक्षक भी थे। इसलिए उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर देश भर के सभी शिक्षकों का सम्मान प्रकट करने व धन्यवाद देने के लिए सभी छात्र 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं। और अगर अब हम बात करें विश्व के अन्य देशों की कि वहां पर टीचर्स डे कब और क्यों मनाया जाता है तो ईरान नामक देश में टीचर्स डे 2 मई को मनाया जाता है वजह यह है कि ईरान में टीचर्स डे मोर तेज मोर हरि के वीरगति को प्राप्त होने पर उनकी याद में मनाया जाता है। लेकिन टीचर्स डे मनाने के पीछे उनकी भावना भी टीचर्स को सम्मान व धन्यवाद देना ही है।

वहीं ऑस्ट्रेलिया देश में टीचर्स डे अक्टूबर महीने के आखिरी शुक्रवार को मनाया जाता है। इसी तरह से और भी देशों में टीचर्स डे मनाने की अलग – अलग तारीख और अलग – अलग कारण हैं। लेकिन 5 अक्टूबर का दिन “विश्व शिक्षक दिवस” के तौर पर घोषित किया गया है। और इसके अलावा विश्व भर में 11 देश ऐसे भी हैं जो 28 फरवरी को टीचर्स डे मनाते हैं।

शिक्षक का हमारे जीवन में महत्व :

हम सभी को अपने जीवन में टीचर्स के महत्व, अहमियत व जरूरत को समझना चाहिए, क्या आप सभी लोगों में से किसी ने भी कभी भी यह सोचा है कि अगर हमारे जीवन में टीचर्स न होते तो क्या होता? क्या आज हम जिस सफलता के मुकाम पर पहुंचे हैं यहां तक कभी आ पाते? यह हमारे टीचर्स का ही योगदान है जो उन्होंने हमारे विश्वास के स्तर को बढ़ाया, हमारे ज्ञान को सफल बनाया, हमें नैतिकता का पाठ पढ़ाया, हमें अपने जीवन में किसी भी नामुमकिन काम को मुमकिन करने की प्रेरणा व मनोबल बढ़ाया है। उन्होंने ही हमें हमारे जीवन के लिए विकसित और पूर्ण रूप से तैयार किया है।

गुरु के सम्मान व महत्व के विषय में कवि तुलसी दास जी ने रामचरित मानस में साफ – साफ लिखा है कि –

“ गुरु बिन भवनिधि तरही न कोई ; जो बिरेचि शंकर सम होई ”

इस दोहे का मतलब यह है कि भले ही कोई भी ब्रह्मा, विष्णु, महेश के समान ही क्यों न हों लेकिन एक गुरु के बिना वह जीवन रुपी भवसागर को पार नहीं कर सकता अर्थात् गुरु के बिना कोई भी जीवन में कुछ भी नहीं कर सकता है। इसलिए टीचर्स किसी भी इन्सान के जीवन में उस कुम्हार की भूमिका निभाते हैं जो न सिर्फ हमें सही आकार देता है बल्कि जीवन के किसी भी अंधकार के मोड़ पर उस रोशनी की तरह है जो हमें आगे बढ़ने में सहायता प्रदान करती है।

हमारे देश में शिक्षक दिवस मनाये जाने की महत्ता :

पूरे देश भर में टीचर्स डे मनाने के मुख्य कारण ही यही है कि स्टूडेंट्स के मन में अपने टीचर के प्रति सम्मान का भाव पैदा हो और टीचर्स को स्टूडेंट्स द्वारा धन्यवाद दिया जाए जिससे उनके मन में स्टूडेंट्स का भविष्य और भी उज्जवल बनाने का भाव आए तथा टीचर्स व स्टूडेंट्स के बीच का सम्मान पूर्ण रिश्ता और भी गहरा व मजबूत बना रहे। टीचर्स के मन में बच्चों को शिक्षित करने की जो भावना होती है वह बिल्कुल उसी तरह होती है जिस तरह एक मां बाप की अपने बच्चे के लिए होती है। वह उन्हें बहुत ही सावधानी से व गम्भीरता से पढ़ाता है। इसलिए टीचर्स डे पर छात्रों द्वारा टीचर्स को धन्यवाद देना चाहिए ताकि टीचर्स व स्टूडेंट्स में जो अपनत्व की भावना है वो सदा – सदा बनी रहे। क्योंकि टीचर ही बच्चों के भविष्य का निर्माण कर्ता है बिना टीचर के ज्ञान के कोई भी बच्चा डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, शिक्षक आदि किसी भी क्षेत्र में सफलता नहीं प्राप्त कर सकता।

उपसंहार :

किसी भी बच्चे के मम्मी पापा उस बच्चे की हर जरूरत को पूरा करने में उसकी सहायता करते हैं। वह उसकी छोटी से बड़ी हर जरूरत को पूरा कर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं उसी तरह से एक टीचर बच्चों को पढ़ाकर, उन्हें अच्छे बुरे का फर्क समझाकर, ज्ञान देकर, उनके आत्मविश्वास को बढ़ाकर उन्हें जीवन में आगे बढ़ने, सफल होने के लिए तैयार कर अपनी जिम्मेदारी निभाता है। इसलिए जिस प्रकार से एक बच्चे के लिए मम्मी पापा का हाथ उसके सर पर होना जरूरी है उसी प्रकार एक टीचर का हाथ भी सर पर होना बेहद जरूरी है।

लेकिन आज के टाइम में टीचर्स अपने ज्ञान को पैसे से तोलने लगे हैं। आज के समय में बिना पैसे के शिक्षा हासिल कर पाना सम्भव ही नहीं है और तो और आज टीचर्स का बच्चों के प्रति दुर्व्यवहार व बच्चों का टीचर्स को सम्मान न देना तो जैसे आम बात हो गया है। यह सभी बातें आज टीचर्स व स्टूडेंट्स के रिश्ते पर बहुत बड़ा सवाल उठा रहे हैं। इसलिए आज ये बहुत जरूरी हो गया है कि हम सभी लोग सदियों से चली आ रही इस गुरु शिष्य के रिश्ते को समझें और समाज के बेहतर भविष्य के निर्माण में अपना योगदान दें।