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धनतेरस पर निबंध | Essay on Dhanteras in Hindi

Essay on Dhanteras in Hindi

Essay on Dhanteras in Hindi

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है. यह दीपावली से ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है. हमारे भारत में इस त्यौंहार को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है. धनतेरस का त्यौंहार व्यापारियों के लिए बहुत ही ज्यादा लाभकारी एंव व्यापारी लोगों के लिए यह त्यौंहार बहुत अहम माना जाता है. हम आगे आपको बतायेंगे की धनतेरस क्यों मनाई जाती है एंव इसे मनाने के पीछे कारण क्या है. उससे पहले हम धनतेरस से जुड़े कुछ और महत्व आपको बताने वाले हैं.

Essay on Dhanteras in Hindi
धनतेरस पर निबंध

धनतेरस 2019 में कब है

धनतेरस 2019 में 25 अक्टूबर 2019 को मनाई जायेगी. धनतेरस पूजन महूर्त शाम 07: 08 से 08:14 तक है.

धनतेरस के दिन लोग क्या तैयारी करते हैं

हमने उपर आपको बताया था की यह त्यौंहार बहुत ही ज्यादा अहमियत रखने वाला है. धनतेरस के दिन लोग अपने घर का प्रवेश द्वार सजाते है एंव उनपर लक्ष्मी माँ की रंगोली एंव कुछ जगह सांपो की नाल भी बनाई जाती है. बहुत से लोग इस दिन अपने घरों में मंगलगान करवाते हैं. घरों में माता लक्ष्मी के आगमन के लिए सिंदूर के छोटे पैरों के रूप में रंगोली बनाई जाती है. मान्यता है की ऐसा करने से घर में लक्ष्मी जी का प्रवेश होता है.

धनतेरस के दिन सोना खरीदने की परम्परा

धनतेरस के दिन लोग सोना खरीदना पसंद करते है बहुत से लोग इस दिन सोने व चांदी के गहने बनवाते हैं. कुछ लोग इस दिन बर्तन भी खरीदते है. मान्यता है की धनतेरस के दिन कुछ नया खरीदने से घर में लक्ष्मी का प्रवेश होता है. कुछ लोग इस दिन अपने परिवार के लोगों में मिठाइयाँ बंटवाते हैं, कहते हैं की ऐसा करने से लक्ष्मी माँ खुश होती है. तो कुछ लोगों का मनना है की धनतेरस के दिन कुछ नया खरीदना एंव कुछ नया करना अच्छा होता है ऐसा करने से पुरे साल स्वास्थ्य अच्छा रहता है.

धनतेरस पर पूजा

धनतेरस के दिन शाम को गणेश पूजा के समय गणेश जी एंव लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. इस पूजा में घर में कोई भी एक उपवास रखने वाला इंसान माता की पूजा करता है एंव सभी परिवार वालों को प्रसाद देता है. इस दिन कुछ लोग माता को चांदी एंव सोने के सिक्के भी चढाते है और माना जाता है की माता लक्ष्मी उन्ही सिक्को के रूप में हमारे पास रहती है.

धनतेरस की कहनियाँ

धनतेरस की दो कहानियाँ है, और दोनों में ही अलग-अलग बात कही गई है. इसलिए इस बात पर हमेशा बहस होती रहती है की असलियत क्या है. खैर हम इस पोस्ट में दोनों ही कहानियाँ लिख रहे है ताकि आप धनतेरस की सही कहानी का चुनाव कर पायें.

धनतेरस की पहली कहानी

मान्यता है की देवताओं ने जब समुन्द्र मंथन किया तो आयुर्वेद के जनक धन्वतरि का जन्म हुआ. यह विष्णु के ही अवतार थे एंव इन्होने ही देवताओं को अमृत पान करवाया. ऐसे में त्रयोदशी के दिन उनका जन्म हुआ और इसी को लेकर मान्यता है की धनतेरस उन्ही के
जन्म पर मनाई जाती है.

धनतेरस की दूसरी कहानी

प्राचीन काल में हिमा नाम के राजा हुआ करते थे उनके एक पुत्र था जिसकी उम्र सोलह वर्ष थी. राजा ने एक बार ज्योतिषी से उनका भविष्य देखने को कहा तो उन्होंने बताया की अगर उनके बेटे की शादी होती है तो शादी के ठीक चौथे दिन उनका बेटा सर्प के काटने पर मर जाएगा.

राजा ने अपने बेटे की शादी की और उसकी होने वाली पत्नी को शादी से पहले ही बता दिया की यह भविष्यवाणी हो चुकी है तो लड़की ने कहा की मैं अपने सुहाग को बचाने की कोशिश करूंगी एंव जब शादी के बाद चौथा दिन आया तो राजकुमार की पत्नी ने राजकुमार को शयन कक्ष में लेकर चली गई और अपने गहने उतारकर शयन कक्ष के मुख्य द्वार पर रख दिए. और राजकुमार सोयें नहीं इसलिए वह राजकुमार को कहानियाँ सुनाने लगी. रात को जब सांप राजकुमार को डसने आया तो शयन कक्ष के आगे सोने एंव चांदी के गहने की चमक को देखकर वह शयन कक्ष में नहीं आया पाया, सर्प ने पूरी रात कोशिश की पर वह शयन कक्ष में नहीं जा पाया. उसके बाद सर्प ने सुबह राजकुमार की पत्नी को इंसानी रूप में आकर बोला की उसकी कला और चंचलता की वजह से वह उसके पति जान बख्स रहा है. इसी कहानी के अनुसार धनतेरस को मनाने की मान्यता है.

स्वस्थ शरीर के लिए मनाई जाती है धनतेरस

एक कहावत आपने भी सुनी होगी की सबसे बड़ा धन ‘निरोगी काय है’ ऐसे में धन्वतरि रोगों के निवारण के लिए जन्मे थे और उन्होंने आज आयुर्वेद को वो शक्ति दी है जो बड़ी से बड़ी बीमारी को भी खत्म करने में सफल है. ऐसे में धनतेरस पर लक्ष्मी माँ से अच्छे स्वास्थ्य की भी कामना की जाती है.

धनतेरस पर लिखा हुआ हमारा आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें जरुर बताएं. इस साल 2019 में धनतेरस 25 अक्टूबर को है तो आप हमें जरुर बताएं की धनतेरस के दिन आप क्या खरीदेंगे.