Sardar Vallabhbhai Patel Biography in Hindi – 562 रियासतों का एकीकरण करने वाले लौह पुरूष के नाम से कहलाए जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल (Sadar Vallabhbhai patel) का जन्म 31 अक्टूबर को सन् 1875 में गुजरात (Gujarat) के नाडियाड में उनके ननिहाल में हुआ था. सरदार पटेल के पिता जी का नाम झवेरभाई पटेल और माता जी का नाम लाडबा देवी था. खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले सरदार पटेल अपने तीन भाई- बहनों में सबसे छोटे और चौथे नंबर के थे.
सरदार पटेल की शिक्षा और शादी
एक किसान परिवार में जन्में सरदार पटेल की प्राइमरी शिक्षा कारमसद में ही हुई थी. एक गरीब परिवार से होने के बावजूद भी माता-पिता ने बचपन से ही उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया था.
सन् 1893 में जब वह सिर्फ 16 साल के थे तो उनका विवाह झावेरबा नाम की एक लड़की से कर दी गई थी. विवाह होने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और न ही अपने विवाह को पढ़ाई के रास्ते में नहीं आने दिया था.
सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी Biography of Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi
सरदार पटेल ने 22 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी. सन् 1900 में ज़िला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे. जिसके चलते उन्हें वकालत करने की इजाजत मिली गई थी और उन्होनें गोधरा में वकालत की प्रेक्टिस शुरू कर दी थी. फिर यहां रहकर उन्होनें प्लेग की महामारी से पीड़ित कोर्ट ऑफिशियल की बहुत सेवा की थी.
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ठीक दो साल बाद सन् 1902 में इन्होने वकालत का काम बोरसद सिफ्ट कर लिया और फिर उन्हें क्रिमिनल लॉयर के नाम से पहचान मिली. सरदार पटेल ने अपनी जीवन कई ऐसे केस लड़े जिसे बाकि वकील हारा हुआ मानते थे. वह सिर्फ लड़ते नहीं थे बाकि उन्हें जीत भी जाते थे. जिसकी वजह से उनकी वकालत आए दिन प्रसिद्ध हो गई थी. सरदार हमेशा अपना कर्तव्य और काम पूरी ईमानदारी, समर्पण व हिम्मत से साथ पूरा करते थे.
सरदार पटेल इग्लैंड जाकर बेरिस्टर कोर्स की पढ़ाई करना चाहते थे इसके लिए वह पैसे भी जमा कर चुके थे लेकिन सन् 1904 में एक पुत्री मणिबेन और सन् 1905 पुत्र दह्या का जन्म हुआ, जिसकी वजह से वह नहीं जा पाए तो उन्होनें अपने बड़े भाई विठलभाई को सन् 1905 में इग्लैंड भेज दिया. फिर उसके बाद पढ़ाई पूरी करके वह भारत आए और अहमदाबाद में वकालत शुरू की.
काम के प्रति सरदार पटेल की ईमानदारी
वैसे तो उनकी अपने काम के प्रति ईमानदारी के बहुत किस्से मौजूद हैं लेकिन एक सन् 1909 की घटना है जो बहुत चर्चा में रहती है. 11 जनवरी सन् 1909 में वह एक ऐसा केस लड़ रहे थे. लेकिन उस केस की बहस के बीच उन्हें अपनी पत्नी की मृत्यु का तार मिला. उन्होनें वह पढ़ लिया लेकिन पढ़कर जेब में रख लिया जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो.
उस केस की बहस करीबन 2 घंटे और चली और आखिर में उन्होनें वो केस जीत लिया. बहस खत्म होने के बाद न्यायाधीश और बाकि अन्य लोगों को जब यह खबर मिली कि सरदार पटेल की पत्नी का निधन हुआ गया है. तब सब ने उनसे पूछा कि आप ने बताया क्यों नहीं तो इसके जवाब में सरदार बोले कि ‘ उस वक्त मैं अपने फर्ज निभा रहा था. जिसके पैसे मेरे मुवक्किल ने न्याय के लिए मुझे दिए हैं. तो फिर मैं केस बीच में छोड़कर उनके साथ अन्याय कैसे कर सकता हूं.’
महात्मा गांधी के साथ मिल कर आंदोलन
सरदार पटेल ने महात्मा गांधी से प्रेरित होकर एक स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था और इस लड़ाई में अपना पहला योगदान खेड़ा संघर्ष में दिया गया था. नवम्बर 1917 में पहली बार सरदार पटेल महात्मा गाँधी से सीधे संपर्क में आये. सन् 1918 में जब खेड़ा क्षेत्र सूखे की चपेट में आ गया था और ऐसे वक्त में किसानों ने अंग्रेज सरकार से कर () में छूट देने की मांग की थी. लेकिन अंग्रेजों ने इस मांग को मानने से इंकार कर दिया था तो सरदार पटेल, महात्मा गांधी और अन्य लोगों ने मिलकर किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिए प्ररित किया था. आखिर में अग्रेंज को झुकना पड़ा और किसानों को कर में राहत मिल गई थी.
सन् 1919 में गुजरात सभा की कांग्रेस कमिटी में परिवर्तित कर दिया, जिसके बाद सरदार पटेल सचिव और महात्मा गांधी अध्यक्ष बन गए.
सरदार पटेल विदेशी कपड़ों से नफरत करते थे इसलिए उन्होनें सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन में उन्होनें स्वदेशी खादी, धोती, कुर्ता और चप्पल अपनाए और विदेशी कपड़ो की होली जलाई थी.
सरदार पटेल जेल में भी रहे
सरदार पटेल ने नमक सत्याग्रह आंदोलन में गांधी के पक्ष में प्रचार किया था, जिसकी वजह से 7 मार्च 1930 को पुलिस ने गिरफ्तार कर साबरमती जेल में डाल दिया था. सरदार पटेल जेल में रहकर भी शांति से नहीं बैठे, जेल के नियमों के खिलाफ उन्होनें भूख हड़ताल भी की.
जेल में इनके स्टेटस के अनुरूप दी जा रही A class diet की जगह C class diet देने की प्रार्थना की थी, इसके उन्होनें भूख हड़ताल की, जिसके बाद जेल प्रशासन को सरदार की बात स्वीकार करनी पड़ी.
जनवरी 1932 से जुलाई 1934 तक सविनय अवज्ञा आन्दोलन के लिए एक बार फिर सरदार पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया और इस बार उनके साथ महात्मा गांधी भी थे. दोनों को यरवदा जेल में रखा गया था. इसी दौरन सरदार पटेल के बड़े भाई विठलभाई की मृत्यु हो गई थी.
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी / Statue of Unity
सरदार वल्लभ भाई पटेल( Vallabhbhai Patel) की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) का 31 अक्टूबर को अनावरण हो गया. उनकी 143 वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य समारोह में अनावरण किया. 182 मीटर ऊँची यह प्रतिमा देश को एक सूत्र में पिरोने वाले इस महान नेता के लिए एक उचित सम्मान है। बता दें कि सरदार पटेल की यह प्रतिमा करीब 42 मीहनों में बनकर तैयार हुई है। इसे तैयार करने में 300 इंजीनियर और 3000 मजदूरों ने अथक परिश्रम किया।
सरदार को पटेल को मिली उपाधि
सरदार पटेल सितम्बर,1946 को अंतरिम सरकार में गृह, सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने. 15 अगस्त 1947 आजाद भारत के वह पहले उप प्रधानमंत्री तथा गृह, स्टेट्स, सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने थे.
नवम्बर 1948 को सरदार पटेल को नागपुर, बनारस और अल्लाहाबाद विश्वविद्यालय ने डॉक्टर ऑफ लॉ (Doctor of Laws) की डिग्री प्रदान की थी. फिर 26 फरवरी 1949 को उस्मानिया विश्वविद्यालय ने भी सरदार को डॉक्टर ऑफ लॉ (Doctor of Laws) की डिग्री प्रदान की.
15 दिसंबर 1950 में उनकी मृत्यु हो गई थी और भारत के एक महान पुरूष ने भारत को अलविदा कह दिया. उनके निधन के 41 साल बाद भारत सरकार ने सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था.