आज हम आपके सामने पेश कर रहे हैं राहत इंदौरी शायरी इन हिंदी (Rahat Indori Shayari in Hindi) – राहत इंदौरी जी उर्दू जगत के महान शायरों में से एक शायर है, एवंम हिंदी फिल्मों के जाने माने गीतकार हैं। इनका जन्म 1 जनवरी 1950 में इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था | वह मुशैरा के विश्व स्तर पर ज्ञात शायर हैं, इसीलिए हम आपको राहत इंदौरी जी द्वारा लिखी गयी कुछ प्रसिद्ध शायरियों का एक ही जगह संकलन करने का प्रयास किया हैं।
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Rahat Indori Shayari in Hindi
—#1—
अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं,
पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं||
—#2—
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
—#3—
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो
—#4—
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे,
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते!!

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—#5—
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
—#6—
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।
—#7—
कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
—#8—
उसकी याद आई हैं साँसों ज़रा धीरे चलो
धड़कनो से भी इबादत में खलल पड़ता हैं
—#9—
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
~ Rahat Indori
—#10—
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
~ Rahat Indori
—#11—
मुझसे पहले वो किसी और की थी, मगर कुछ शायराना चाहिये था,
चलो माना ये छोटी बात है, पर तुम्हें सब कुछ बताना चाहिये था|
—#12—
फूंक डालुंगा मैं किसी रोज दिल की दुनिया
ये तेरा खत तो नहीं है जो जला ना सकूं
—#13—
किसने दस्तक दी ये दिल पर
कौन है आप तो अंदर है, ये बाहर कौन है.
—#14—
यहां दरिया पे पाबंदी नहीं है,
मगर पहरे लबों पे लग रहे हैं.
—#15—
सरहदों पर तनाव है क्या
जरा पता तो करो चुनाव हैं क्या
—#16—
मैंने अपनी आँखों से लहू छलका दिया
एक समन्दर कह रहा है मुझे पानी चाहिए
—#17—
इरादा था कि में कुछ देर तुफानो का मजा लेता
मगर बेचारे दरिया को उतर जाने की जल्दी थी
—#18—
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे
—#19—
मेरी ख्वाहिश है कि आंगन में न दीवार उठे
मेरे भाई, मेरे हिस्से की जमीं तू रख ले
कभी दिमाग, कभी दिल, कभी नजर में रहो
ये सब तुम्हारे घर हैं, किसी भी घर में रहो
—#20—
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैं
लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया,

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