Thyroid in Hindi : हेलो दोस्तों, आज हम जानेंगे कि थायराइड की बीमारी क्या होती है? thyroid in hindi.

Thyroid in Hindi
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थायराइड हमारे शरीर में गले की ग्रंथि की तरह की होती है। जो बिल्कुल गले में सामने की ओर होती है।गले की यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रण करती है मतलब हम जो भी खाते हैं यह हमारे खाने को ऊर्जा में बदलने का काम करती है।यह ग्रंथि हमारे हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों , कॉलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है।
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थायराइड का दूसरा नाम साइलेंट किलर (Silent killer) होता है। थायराइड पुरुषों , महिलाओं ,बच्चों में किसी को भी हो सकता हैं। पुरुषों में थायराइड होने का कारण कोई भी समग्र स्वास्थ्य जीवनशैली में परिवर्तन या दवाइयों के साथ चल रहे इलाज के कारण हो सकता है। महिलाओं मे थायराइड का कारण रजोनिवृत्ति में आने वाली असमानता हो सकती है।
अक्सर बच्चों में भी थायराइड की समस्या देखी जाती है। बच्चों में थायराइड की समस्या होने का कारण उनके माता-पिता को होने वाली थायराइड की बीमारी भी हो सकती है। अगर गर्भावस्था के दौरान माता में थायराइड की समस्या है तो बच्चे में थायराइड होना स्वाभाविक है। इसके अलावा मां की खानपान का प्रभाव भी बच्चे में थायराइड को प्रभावित करता है।यदि मां गर्भावस्था के दौरान आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का अभाव करती है तो इसका असर सीधे शिशु पर पड़ता है।यदि बच्चे में थायराइड की समस्या होती है तो इसका सीधा प्रभाव उनकी शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है इसीलिए बच्चों के लिए तो चिकित्सक से संपर्क करना बहुत ही आवश्यक है।
थायराइड के कारण Thyroid reason
माइग्रेन इसका प्रमुख कारण हो सकता है। थायराइड एक बढ़ी हुई थायराइड ग्रंथि होती है जिसमें थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है। सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग करना भी थायराइड की समस्या को उत्पन्न कर सकता है। बिना चिकित्सकीय परामर्श के ली जाने वाली दवाइयां थायराइड का कारण हो सकती हैं। तनाव होना थायराइड को उत्पन्न करने की संभावना को बढ़ाता है।जब हमारे शरीर में तनाव का स्तर बढ़ता है तो हमारी थायराइड ग्रंथि पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है और यह ग्रंथि हार्मोन के स्त्राव को बढ़ा देती है।
थायराइड वंशानुगत भी हो सकता है। यदि परिवार में पहले किसी को थायराइड की समस्या हुई है तो आने वाले बच्चों में थायराइड होने की संभावना अधिक रहती हैं। थायराइड का एक प्रमुख कारण ग्रेव्स की बीमारी भी हो सकता हैं। इस बीमारी में ग्रंथि से थायराइड हार्मोन का स्त्राव बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। ग्रेव्स की बीमारी अधिकतर लोगों में 20 से 40 की उम्र में देखने को मिलती है ग्रेव्स रोग वंशानुगत विकार है। इसी कारण यह एक ही परिवार के लोगों में होने की संभावना अधिक होती है।
गर्भावस्था,रजोनिवृत्ति इस प्रकार की अवस्था होती है जिसमें महिलाओं के शरीर मैं हार्मोनस में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होता है। रजोनिवृत्ति में महिला में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। जो कई बार थायराइड का कारण बनते हैं।
थायराइड के लक्षण Thyroid Symptoms
थायराइड की वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है जिसके कारण मानव शरीर कई प्रकार की बीमारियों की चपेट में आ जाता है। थायराइड के कारण थकान जल्दी होने लगती है और शरीर सुस्त रहने लग जाता है। थोड़ा सा काम करते ही एनर्जी खत्म सी होने लगती है और इंसान डिप्रेशन में रहने लगता है किसी भी काम में मन नहीं लगता है तथा याददाश्त भी कमजोर होने लगती है मांस पेशियों और जोड़ों में दर्द रहने लगता है।
इन सब समस्याओं को इंसान साधारण समझकर इग्नोर करता है जो बाद में खतरनाक साबित होती है और कई बार तो जानलेवा तक हो सकती है।
जाने यह थायराइड ग्रंथि क्या है?
थायराइड कोई रोग नहीं है बल्कि ग्रंथि का नाम है जिसकी वजह से यह बीमारी होती है। हम भाषा में इसे थायराइड कहते हैं। गले में पाई जाने वाली एक इंडोक्राइन ग्रंथि होती है। पिट्यूटरी ग्लैंड के द्वारा थायराइड ग्रंथि नियंत्रण होता है। थायराइड ग्रंथि थायरोक्सिन हार्मोन बनाकर खून तक पहुंचाती है जिसके कारण शरीर का मेटाबॉलिज्म नियंत्रित रहता है। ग्रंथि टी3 और टी4 नामक दो हार्मोन बनाती है। जब शरीर में इन दोनों हार्मोन का असंतुलन होता है तो थायराइड की समस्या पैदा हो जाती है।
थायराइड का परीक्षण कैसे किया जाता है – thyroid test
फिजियोलॉजी लैब के जरिए थायराइड की जांच की जाती है। जिसमें टी3 और टी4 हार्मोन का परीक्षण किया जाता है। जिसके द्वारा थायराइड का पता चलता है। इसलिए ऊपर दिए गए कोई भी लक्षण दिखने पर फिजियोलॉजी करवाना चाहिए।
थायराइड फंक्शन टेस्ट
थायराइड की समस्या (thyroid Problem) से ग्रस्त मरीज को थायराइड फंक्शन टेस्ट कराना चाहिए। इस टेस्ट से यह पता चल जाता है कि मरीज को हाइपोथायराइड या हाइपरथायराइड है। इस टेस्ट में थायराइड को उकसाने वाले हार्मोन की जांच की जाती है हाइपोथायराइड से ग्रस्त मरीज में टी एस एच बढ़ जाता है और हाइपरथायराइड में यह स्तर घट जाता है। TFT जांच से टी एस एच सीरम की संवेदनशीलता के बारे में जानकारी मिलती है जिससे मरीज का इलाज समय से पहले किया जाना संभव हो पाता है। थायराइड के मरीज के व्यवहार को देखकर भी इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है तथा कुछ सावधानियां और कुछ व्यायाम करके इस समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है।
तो दोस्तों यह की जानकारी थाइरोइड के बारे में, अगर आप या आपके संबंधी इस बीमारी से ग्रसित हैं तो आप यहां दी हुई जानकारी का लाभ उठा सकते हैं और उन्हें इस बीमारी के प्रकोप से मुक्ति पाने में मदद कर सकते हैं. इतना ही नहीं आप खुद को और अपने आसपास रहने वाले लोगों को इस बीमारी से बचा भी सकते हैं अगर आप सही सूचना को सही समय पर ध्यान से पढ़े और ग्रहण करें.
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