Second World War history in hindi : प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 के बीच हुआ था. प्रथम विश्व युद्ध की वजह से यूरोप में अस्थिरता बन गई थी और इसी वजह से Second World War शुरू हुआ. द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक चला और यह एक विश्व-स्तरीय युद्ध था. इस युद्ध में करीबन 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएं शामिल हुई थीं. इस युद्ध में विश्व दो भागों में बंटा हुआ था- मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र में. इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक और वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी. इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के करीबन 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया था. यह युद्ध इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ था.

Second World War history in hindi
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विश्व युद्ध का आरंभ – The beginning of world war
1 सितंबर सन् 1939 को पोलैंड पर जर्मन आक्रमण के साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध का बिगुल बज उठ गया था. साथ ही इंग्लैंड और फ्रांस ने भी जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी थी. वहीं दूसरी तरफ जर्मनी ने पोलैंड पर अधिकार कर लिया था. 1 सितंबर 1939 से 9 अप्रैल 1940 तक का काल नकली युद्ध और फोनी वार का काल माना जाता है क्योंकि इस अवधि में युद्ध की स्थिति बने रहने पर भी कोई वास्तविक युद्ध नहीं हुआ.
द्वितीय विश्व युद्ध क्यों हुआ ? – Why World War II happened?
Second World War के बीज वर्साय की संधि में ही बो दिए गए थे. विश्व युद्ध के दौरन दो भागों में बंटे विश्व में से एक मित्र राष्ट्रों ने जिस प्रकार का अपमानजनक व्यवहार जर्मनी के साथ किया उसे जर्मन जनमानस कभी भी भूल नहीं सका. जर्मनी को इस संधि पर हस्ताक्षर करने को विवश कर दिया गया था. संधि की शर्तों के मुताबिक जर्मन साम्राज्य का एक बड़ा भाग मित्र राष्ट्रों ने उस से छीन कर आपस में बांट लिया था. अतः जर्मन वर्साय की संधि को एक राष्ट्रीय कलंक मानते थे. मित्र राष्ट्रों के प्रति उनमें प्रबल प्रतिशोध की भावना जग गई थी. हिटलर ने इस मनोभावना को और अधिक उभारकर सत्ता हथिया ली थी और हिटलर ने सत्ता में आते ही वर्साय की संधि की धज्जियां उड़ा दी और घोर आक्रामक नीति अपना कर दूसरा विश्व युद्ध आरंभ कर दिया था.
तानाशाही शक्तियां – Dictatorship powers
प्रथम विश्व युद्ध के बाद से ही यूरोप में तानाशाही शक्तियों का उदय और विकास होने लगा था. वहीं इटली में मुसोलिनी और जर्मनी में हिटलर तानाशाह बन बैठे थे. प्रथम विश्व युद्ध में इटली मित्र राष्ट्रों की ओर से लड़ा था लेकिन पेरिस शांति सम्मेलन में उसे कोई फायदा नहीं हुआ था. जिसकी वजह से इटली में असंतोष की भावना जग गई थी. इसका लाभ उठा कर इटली में मुसोलिनी ने फासीवाद की स्थापना कर सारी शक्तियां अपने हाथों में केंद्रित कर ली थी. जिसके बाद वह इटली का अधिनायक बन गया. ऐसी ही कुछ स्थिति जर्मनी में भी बन गई थी. जर्मनी में हिटलर ने नाजीवाद की स्थापना की और फिर जर्मनी का तानाशाह बन बैठा. मुसोलिनी और हिटलर दोनों ने आक्रामक नीति अपनाई दोनों ने राष्ट्र संघ की सदस्यता त्याग दी और अपनी शक्ति बढ़ाने में लग गए. उनकी नीतियों ने द्वितीय विश्व युद्ध को अवश्य भावी बना दिया था.
साम्राज्यवाद – Imperialism
साम्राज्यवाद Second World War का एक मुख्य कारण था. हर एक साम्राज्यवादी शक्ति अपने साम्राज्य का विस्तार कर अपनी शक्ति और धन को बढ़ाने में लगी हुई थी. जिस की वजह से साम्राज्यवादी राष्ट्र में प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई थी. सन् 1930 के दशक में इस मनोवृति में वृद्धि हुई, जिस के बाद आक्रामक कार्यवाहियां भी बढ़ गई. वहीं सन् 1931 में जापान ने चीन पर आक्रमण यानी हमला कर मंचूरिया पर अधिकार कर लिया था. इसी तरह से सन् 1935 में इटली ने इथोपिया पर अपना अधिकार जमा लिया था. सन् 1935 में जर्मनी ने राइनलैंड पर और सन् 1938 में ऑस्ट्रिया पर विजय हासिल कर के जर्मन साम्राज्य में मिला लिया था. स्पेन में गृहयुद्ध के दौरान हिटलर और मुसोलिनी ने जनरल फ्रैंको को सैनिक की मदद पहुंचाई थी और आखिरकार फ्रैंको ने स्पेन में सत्ता हथिया ही ली थी.
यूरोपीय गुटों का निर्माण – The formation of European groups
जर्मनी की लगातार बढ़ती शक्ति से आशंकित होकर यूरोपीय राष्ट्र अपनी सुरक्षा के लिए गुटों का निर्माण करने लगे और इस की पहल फ्रांस ने की थी. फ्रांस ने जर्मनी के इर्द-गिर्द के राष्ट्रों का एक जर्मन विरोधी गुट बनाया था. इसके प्रत्युत्तर में जर्मनी और इटली ने एक अलग गुट बनाया, जिसके बाद जापान भी इस में सम्मिलित हो गया था.
द्वितीय विश्व युद्ध का अंत – End of World War II
Second World War के अंत में इटली ने सन् 1944 में पराजित होकर आत्म समर्पण कर दिया था. इससे जर्मन शक्ति को आघात लगा. युद्ध में जर्मनी को परास्त कर सोवियत सेना आगे बढ़ते हुए बर्लिन जर्मनी तक पहुंच गई थी. जिसके बाद 7 मई 1945 को हिटलर को आत्मसमर्पण करना पड़ा. 6 और 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर पर परमाणु बम गिरा कर उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दिया. लाखों की संख्या में निर्दोष व्यक्ति मारे गए, जिसके बाद जापान को भी आत्मसमर्पण करना पड़ा. इस तरह सब ने आत्मसमर्पण कर दिया था और ये विनाशकारी द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हो गया था.
विश्व युद्ध का परिणाम क्या रहा? – What was the result of world war?
द्वितीय विश्व युद्ध का परिणाम प्रथम विश्व युद्ध से भी अधिक निर्णायक रहा था. इस के सिर्फ विनाशकारी प्रभाव ही नहीं हुए, बल्कि कुछ प्रभाव ऐसी भी हैं जिससे विश्व इतिहास की धारा बदल गई और एक नए विश्व का उदय और विकास हुआ था. इस विश्व युद्ध में प्रथम विश्वयुद्ध की तुलना में धन-जन की अधिक क्षति हुई थी. एक अनुमान के मुताबिक, इस युद्ध में दोनों पक्षों के 5 करोड़ से अधिक लोग मारे गए थे. जिनमें सर्वाधिक संख्या सोवियतों की थी. लाखों की संख्या में लोग बेघर हो गए थे और उस वक्त घायलों की गिनती ही नहीं की जा सकती थी.
इस विश्व युद्ध के बाद सभी साम्राज्यवादी राज्यों को एक-एक कर अपनी उपनिवेशों से हाथ धोना पड़ा था. उपनिवेशों में राष्ट्रीयता की लहर तेज हो गई. साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन तेज हो गए थे. युद्ध से पहले विश्व राजनीति में इंग्लैंड ब्रिटेन की प्रमुख भूमिका थी. वह एक शक्तिशाली राष्ट्र था लेकिन इस विश्वयुद्ध के बाद उसकी स्थिति दुर्बल हो गई थी.