Essay on Peacock in Hindi : अपने रंग बिरंगे शारीरिक रचना से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देने वाले राष्ट्रीय पक्षी मोर पर आज हम आपको इस लेख के माध्यम से निबंध देने वाले हैं। यदि आप भी राष्ट्रीय पक्षी मोर के बारे में और जानना चाहते हैं या फिर अपने बच्चों को इसके ऊपर निबंध याद कराना चाहते हैं , तो आपको यह लेख अवश्य अंत तक पढ़ना चाहिए।

Essay on Peacock in Hindi
- Top 20+ Motivational framed quotes
ये भी पढ़े ⇓
परिचय :-
मोर को हम लोग पावो क्रिस्टटस के वैज्ञानिक नाम से जानते हैं। मोर एक ऐसा पक्षी है , जो सभी सुंदर पक्षियों की श्रेणी में आता है। इस पक्षी को भारतीय राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया है , क्योंकि इसके अंदर हमारे देश की कला , सभ्यता और सुंदरता दिखाई देती है। भारत देश के इतिहास में भी इस पक्षी की कई प्रस्तुति देखने को मिलती है। हमारे देश के प्राचीन इतिहास में भारतीय मंदिरों एवं कई भारतीय ऐतिहासिक स्थलों पर मोर की कलाकृति को दर्शाया गया है।
मोर की प्रजातियां :-
मोर की मुख्य दो प्रजाति होती हैं। एक भारतीय नीला मोर जो , कि भारत और श्रीलंका में पाया जाता है। इसकी दूसरी प्रजाति को हारा एवं जावा जो , कि म्यांमार तथा जावा में पाया जाता है।
मोर की शारीरिक संरचना :-
मोर का शारीरिक संरचना कुछ हंस की शारीरिक संरचना से मिलता-जुलता दिखाई देता है। नर पक्षी मोर मादा पक्षी से अत्यधिक सुंदर दिखाई देता है। नर पक्षी का सीना और गर्दन चमकीले नीले रंग के होते हैं एवं गहरे हरे रंग के इसके पंख भी होते हैं। नर पक्षी मोर की कुल संख्या लगभग 150 से 200 तक की होती है। मादा मोरनी का शारीरिक रंग लगभग हल्के भूरे रंग का होता है। मोरनी की लंबाई मोर के मुताबिक थोड़ी छोटी होती है। इसके पंखों में गुच्छा नहीं होता। मोर वर्ग के सभी पक्षियों की उम्र 25 वर्ष से लेकर 35 वर्ष के बीच तक की होती है। नर मोर की लंबाई कुल 215 सेंटीमीटर तथा मोरनी की लंबाई कुल लगभग 50 सेंटीमीटर की होती है। नर मोर पर हमें बड़ा कलंगी तथा मादा मोरनी पर छोटी कलंगी देखने को मिलती है। इन लक्षणों से आप यह पता लगा सकते हैं कि कौन सा नल मोर है और कौन सा मादा मोरनी पक्षी है?
मोर पक्षी का महत्व :-
मोर पक्षी के खूबसूरत पंखों एवं उसके लकड़ियों को कई तरह के सजावटी सामानों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। यहां तक कि कई फैंसी वस्तुओं की कलाकृतियों की बनावट में मोर पक्षी के पंखों एवं उनके लकड़ियों का इस्तेमाल भी देखने को मिलता है। कई उद्योग कंपनियां अपने वस्तुओं को आकर्षित बनाने के लिए मोर पक्षी के जरूरी अवशेषों का उपयोग करते हैं। मोर पक्षी एक ऐसा पक्षी है जिसकी महत्वता हमारे देश में बहुत हैं और यह हमें कई तरह के इतिहासकार में भी देखने को मिलते हैं। आपने तो महाभारत में कृष्ण जी को अपने मुकुट में मोर के पंख को धारण करते हुए देखा होगा तो इसकी महत्वता पुराणिक रूप से चली आ रही है।
मोर संरक्षण कानून :-
हमारे देशों में। कई सारे मोर पक्षियों के शिकार किए जाते हैं ,जिसकी वजह से इनके महत्वपूर्ण प्रजातियों का पतन भी हो चुका है। मोरों की कई प्रजातियां विलुप्त होने के कारण वर्ष 1972 में हमारे देश में मोर संरक्षण कानून की स्थापना की गई। इस कानून की सहायता से इनकी संख्या में बढ़ोतरी एवं इनके प्रजातियों को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है। हमारे देश की सरकार कई प्रकार के मोर संरक्षण अभियान भी चलाते हुए नजर आती है। मौसा रक्षण कानून के बनने से हमें अब तक कई सारे मोर के जनसंख्या में वृद्धि देखने को मिले हैं और यह एक बहुत ही लाभकारी कानून भी है , पक्षियों के हित के लिए।
उपसंहार :-
मोर एक ऐसा पक्षी है , जिसकी सुंदरता देखते ही लोग उसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं। परंतु कुछ ऐसे लोग भी हमारे देश में मौजूद हैं जो उस पक्षी को जीवित नहीं देखना चाहते हैं और उनका शिकार भी किया करते हैं। कई ऐसे व्यक्ति भी मौजूद हैं जो मोर पक्षी को मार के उनको खाते हैं और उनके खाल को बाजार में बेच देते। जब से मोर कानून आया है तब से मोर की जनसंख्या में वृद्धि आई है और भारत में मोर की स्थिति बहुत ही अच्छी है।