Essay on mahatma gandhi hindi : महात्मा गांधी एक ऐसे राष्ट्र पिता और स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने अपने मातृभूमि को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपने सर्वस्य जीवन को निछावर कर दिया था। महात्मा गांधी पेशे से एक वकील थे परंतु उन्होंने
मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में लगा दिया था।
आज के इस जमाने में महात्मा गांधी के जीवन से नवयुवक और देश के प्रत्येक नागरिक को उनसे प्रेरणा लेना चाहिए और अपने जीवन को सफलता की ओर कैसे अग्रसर करें यह सीख भी लेनी चाहिए। भारत देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में महात्मा गांधी जी को लोग बापूजी या फिर भारत देश के राष्ट्रपिता के नाम से भी संबोधित करते हैं।

Essay on mahatma gandhi in hindi
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जन्म :-
राष्ट्रपिता के नाम से जाने जाने वाले महात्मा गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था और उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। भारत देश के इस राष्ट्रपिता के पिता का नाम मोहनदास गांधी और माता का नाम पुतलीबाई गांधी था।
गांधी जी अपने माता-पिता के चौथे और सबसे छोटी संतान में से एक थे। गांधी जी के पिताजी राजकोट के दीवान हुआ करते थे और उनकी माता धार्मिक प्रवृत्ति की थी, जिनका असर उनके पुत्र महात्मा गांधी जी के ऊपर पूर्ण रूप से दिखाई देता था। गांधी जी का पूरा परिवार एक अहिंसा वादी और शांत स्वभाव का था।
बापू जी का प्रारंभिक जीवन :-
जैसा कि गांधी जी के पिता राजकोट में ही थे तो उनका प्रारंभिक जीवन और उनकी शिक्षा उसी जगह से प्रारंभ हुई थी। महात्मा गांधी जी अपने स्वभाव में बहुत ही विनम्र थे और अपने सहपाठियों एवं मित्रों से बहुत ही कम वार्तालाप किया करते थे। हालांकि वे अपने से बड़े लोगों और अपने अध्यापकों का पूर्ण रूप से आदर-सत्कार किया करते थे।
देश पिता महात्मा गांधी जी अपने पूरे शिक्षा काल में अनेकों पुरस्कार और छात्रवृत्ति भी जीती थी। मगर बापूजी पढ़ाई और खेलकूद में विशेष रूप से तेज नहीं थे। गांधीजी को पूरे धर्म और आदर्श स्वभाव की शिक्षा उनकी माता ने प्रदान की थी। बापूजी का स्वभाव बचपन से ही विनम्र एवं संस्कारी था।
अहिंसा की नीति में गांधीजी की भूमिका :
महात्मा गांधी जी के स्वतंत्रता संघर्ष में कूदने के बाद अहिंसा का एक अलग ही महत्व लोगों के बीच पड़ने लगा था और इसका असर भी साफ तौर पर उस समय दिखाई भी दे रहा था। मगर देश में कई अन्य हिंसक संघर्ष भी देश की स्वतंत्रता के लिए जारी थे, जिनका अलग ही महत्व है और उनको नकारा भी नहीं जा सकता है।
देश की स्वतंत्रता को हासिल करने के लिए न जाने कितने वीर पुरुष और स्वतंत्रा सेनानी अपने प्राणों की आहुति दे दिए थे। मगर महात्मा गांधीजी के अहिंसा के मार्ग में चलने वाले सभी व्यक्ति शांत स्वभाव से प्रदर्शन करते थे और स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्वक लड़ते भी थे। प्रिय बापू जी ने स्वतंत्रता की लड़ाई में हर एक प्रदर्शन में अपने अहिंसा के मार्ग को अपनाते हुए आगे बढ़ते चले थे।
बापू जी का महा बलिदान :-
गांधी जी पूरे अपने जीवित काल में देश हित के लिए और देश स्वतंत्रता के लिए निरंतर रूप से कार्यरत रहे थे। प्रिय बापू जी ने अपने जीवित काल में हिंदू मुस्लिम एकता का शुभारंभ भी किया था। मगर इनके द्वारा किए गए इस कार्य के शुभारंभ से कुछ ऐसे देश के नागरिक भी थे।
जिनको यह बिल्कुल भी सही निर्णय नहीं लग रहा था और यही वजह है कि कुछ हिंदू कार्यकर्ता ने इस निर्णय का विरोध भी किया था और परिणाम स्वरूप 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में एक सभा के दौरान। नाथूराम गोडसे द्वारा बापू जी को गोली मार दी गई और उसी दौरान उनकी मृत्यु भी हो गई। जब प्रिय बापू जी की मृत्यु हुई थी, तो उस समय पूरा भारत देश शोक में डूब गया था और बहुत ही भारत देश का वातावरण शांत- सा हो गया था। आज के इस स्वतंत्र देश में बापूजी के आदर्शों और उपदेशों का आदर
सत्कार किया जाता है और वह सदैव के लिए भारतीय लोगों के दिलों में अमर हो चुके हैं।
उपसंहार :-
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक महान समाज सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने अपने देश को अंग्रेजों से आजादी तो दिला दी परंतु वे इस आजादी को बहुत ही कम समय तक देख पाए और उनकी अनावश्यक रूप से मृत्यु हो गई।
गांधी जी ने सभी देशवासियों को अपने पैर पर खड़ा होने एवं परिश्रम करके अपना पालन पोषण करने का ज्ञान दिया और इसके लिए सभी जरूरी प्रकार के संसाधनों की व्यवस्था भी करने का आदेश दिया था।
आज भी प्रत्येक भारतीय दिलों में बापूजी सदैव धड़कते रहते हैं और उनके जीवन से कई लोग प्रेरणा लेकर अपने कार्य को करते हुए नजर भी आते हैं।